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HOW "EIA" 2020 WILL DAMAGE INDIA

    How Eia 2020 Will Damage India


ईआईए 2020 का मसौदा पर्यावरणविदों की भारी आलोचना के कारण आया, जिन्होंने इसे वर्तमान नियमों के बारे में गंभीर रूप से बताया और कहा कि यह उन परियोजनाओं का पक्ष लेगा जो नियमों का उल्लंघन करते हैं और पर्यावरण के बिना संचालित होते हैं


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DRAFT NOTIFICATION

 तत्कालीन पर्यावरण और वन मंत्रालय में भारत सरकार की अधिसूचना द्वारा WHO को नंबर S.O. १५३३ (ई) दिनांक १४ सितंबर, २००६ (इसके बाद Not ईआईए अधिसूचना, 2006 ’के रूप में संदर्भित), केंद्र सरकार ने कुछ परियोजनाओं के क्रियान्वयन पर कुछ शर्तें और सीमाएँ लगाईं या ऐसी मौजूदा परियोजनाओं के विस्तार या आधुनिकीकरण की क्षमता बढ़ रही है, ईआईए अधिसूचना, 2006 की अनुसूची में सूचीबद्ध भारत के किसी भी हिस्से को जब तक कि पूर्व पर्यावरण मंजूरी मंत्रालय या राज्य स्तर के पर्यावरण प्रभाव आकलन प्राधिकरण या जिला स्तर के पर्यावरण प्रभाव आकलन प्राधिकरण द्वारा स्वीकार नहीं किया गया है, जैसा कि मामला हो सकता है, प्रक्रिया के अनुसार ईआईए अधिसूचना, 2006 और बाद के संशोधनों में निर्दिष्ट


और जहां, प्रक्रिया, विकेन्द्रीकरण और न्यायालयों के निर्देशों और राष्ट्रीय हरित अधिकरण के कार्यान्वयन को कारगर बनाने के लिए समय-समय पर ईआईए अधिसूचना, 2006 में कई संशोधन जारी किए गए हैं। हालांकि ईआईए अधिसूचना, 2006 ने प्रस्तावित परियोजनाओं के कारण पर्यावरणीय प्रभावों का आकलन करके आवश्यक पर्यावरण सुरक्षा उपायों को साकार करने में मदद की है, जो कि नियोजन स्तर पर पहले पर्यावरण मंजूरी की आवश्यकता होती है, केंद्र सरकार ऑनलाइन के कार्यान्वयन के माध्यम से प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी और तेज बनाने की कोशिश करती है। प्रणाली, आगे के प्रतिनिधिमंडल, युक्तिकरण, प्रक्रिया का मानकीकरण, आदि;


WHY IS  EIA NECESSARY

·         भोपाल में यूनियन CARBOHIDE में गैस लीक .
·         असं में आयल वेल पर आग लगना
·         विशाखापत्तनम में केमिकल प्लांट में गैस लीक अन्य




ऐसे कई डिजास्टर है जिनसे कई लोगो की जान गयी, INDIRECTLY कितने हजारो लोग इससे एफेक्ट हुए /


क्या आप चाहते है की ऐसे और डिजास्टर हो आपके गाव सहर में ?       
1984 के भोपाल गैस डिजास्टर के बाद इंडियन govt ने REALISE किया की जो भी ENVIROMENTAL लोस इंडिया में हो रहे है ओ SUFFICIANT नही है .



A NEED FOR BETTER LAWS


अगर हमे फ्यूचर में ऐसे डिजास्टर को होने से रोकना है तो हमे एक BETTER LAW की जरुरत पड़ेगी /
इसी कारण इंडियन govt 1986 में IPA (INVIRONMENT PROTECTION ACT.) लेकर आई थी ,
इस एक्ट के अंडर एक नया प्रोसेस था जिसका नाम था EIA (ENVIRONMENT IMPACT ASSESMENT).

 


ये प्रोसेस हर प्रोजेक्ट के लिए APPLICABLE है / चाहे इंडिया कही कोई रियल एस्टेट बनाया जा रहा हो , या
कोई INFRASTRUCTURE प्रोजेक्ट हो जैसे कोई डैम खोदा जा रहा हो या कोई COLDMINE बनायीं जा रही हो /
या कोई अन्य केमिकल प्लांट बनाया जा रहा हो /


EIA इन सब पर APPLICABLE है :
इस प्रोसेस के अंतर्गत किसी भी प्रोजेक्ट को बनाने से पहले हमे ये देखना होगा की इसके क्या इम्पैक्ट पड़ेंगे एनवायरनमेंट पर /
अगर हम यहाँ COLDMINE बनाने जा रहे है तो निम्नलिखित बातो पर ध्यान देना होगा की :
·         कितने जंगल काटने पड़ेंगे
·         वहा रहने वाले गाव वालो पर क्या प्रभाव पड़ेंगा
·         गाव वालो के जॉब पर क्या प्रभाव पड़ेगा

हमे इसके पॉजिटिव और नेगेटिव इम्पैक्ट को देखना चाहिए , और नेगेटिव इम्पैक्ट को कम से कम करना होगा /



Agar इंडियन govt को लगता है की इसके नेगेटिव इम्पैक्ट काफी ज्यादा है तो govt को इसे क्लीयरेंस नही देनी चाहिए /


BY
ABHISHEK SHARMA






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