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INDIAN VACCINE ( CO-VECCINE) ( WHY PATANJALI VACCINE IS NOT APPROVED? )

 

 INDIAN VACCINE ( CO-VACCINE)   

( WHY PATANJALI VACCINE IS NOT APPROVED? )



BY..
ABHISHEK SHARMA

क्या भारत विश्व का पहला देश बन जायेगा जो विश्व को COVID-19 के इलाज के लिए पहली मेड इन इंडिया वैक्सीन लांच करेगा ? भारत बायोटेक को (FASE 1 0R 2 ) के क्लिनिकल ट्रायल्स के लिए अप्रूवल मिल चूका है / जबकि वर्ल्ड की ऑक्स्फ़र्ड यूनिवर्सिटीज़ FASE-3 के ट्रायल से जूझ रहे है / हमे कब तक COVID1-19 की वैक्सीन मिल जाएगी ?  चलिए जानते है ......

   Image Source-Google/ Imageby-india today

WHY DO VECCINE WORK

“VECCINE ARE LIKE MOCK EXAMS”
VECCINE LIKE A PREBOARD EXAMS PREPARED FOR THE BOARD EXAMS

JAB HAMARI BODY ME KOI VIRUS  IMPACT KARNE AATA HAI TO HAMARA IMMUNE SYSTEM RESPOND KARTA HAI .
HAMARE IMMUNE SYSTEM KE 3 KAM HOTE HAI ….

1.DETECT THE VIRUS

HAMRE IMMUNE SYTEM KA PAHLA KAAM HOTA HAI VAYRAS KO DETECT KARNA KI KOI VAYRAS HAMARI BODY ME AAYA TO NAHI HAI

2.REMOVING THE VIRUS

HAMARE WHITE BLOOD CELLS IN VIRUS SE FIGHT KARTE HAI TATHA HUME IN VIRUS SE BACHATE HAI ,
ISS KARAN HAMARI BODY ME KUCHH SYMTEMS AATE HAI JAISE..
KHASI,BUKHAR,JHUKHAM AANA

WHITE BLOOD CELLS ANTIBODIES GENERATE KARTE HAI IN VIRUS SE FIGHT KARNE KE LIYE.

3.MEMORISE THE VIRUS

IMMUNE SYSTEM KA LAST MAIN KAAM HOTA HAI VIRUS KO MEMORISE KARNA KI KON SE VIRUS KE
AGAINTS KAISE FIGHT KARNA HAI .


TYPES OF VACCINES

Vaccines- Introduction and Types


Image Source-Google/ Imageby-microbe notes

 VACCINE HAMARE IMMUNITY SYSTEM KO PAHLE SE TAIYAR KARTA HAI VIRUS SE FIGHT KARNE KE LIYE .
VECCINE KI MADAT SE HAMARA IMMUNE SYSTEM VIRUS KO JALDI SE DETECT KAR PATA HAI TATHA MEMORISE KAR PATA
HAI KI KON SE VIRUS KE AGIANTS KAISE WORK KARNA HAI .

VACCINE ME AISA KYA HOTA HAI KI YE HAMRE IMMUNE SYSTEM KO PREPARE KAR PATI HAI VIRUS KE AGAINTS FIGHT KARNE KE LIYE ?
VECCINE KE UNDER VO VIRUS KHID HI MAUJOOD HOTE HAI MAGAR ALAG ALAG STATES ME …

1.LIFE ATTINUATED VECCINE
KUCHH VECCINES ME VIRUS KO KAMJOR KAR KE DAL JATA HAI ,AISE VECCINES KO LIFE ATTINUATED VECCINE KAHA JATA HAI,
SMALL POX, CHICKEN POX KE ILAJ KE LIYE ISS TARAH KI VECCINE KA USE HOTA HAI .
PROS: YE BAHOT HI AFFECTIVE HOTI HAI
CONS: ISE BANANE KE KAFI JYADA SAMAY LAG JATA HAI

2.INACTIVATED VECCINE
KUCHH VECCINES ME  VIRUS KI DEAD BODIES MAUJOOD HOTI HAI AISE VECCINES KO INACTIVATED VECCINE KAHTE HAI ,
POLIO,RABBIES KE ILAJ KE LIYE AISE HI VECCINES KA USE HOTA HAI .
PROS: YE BAHOT SAFE HOTI HAI ISME KOI DISEASE NHI HOTI HAI
CONS: YE STRONG & LONG LASTING IMMUNITY PROVIDE NHI KARTI HAI

3.SUB UNIT VACCINE

KUCHH VECCINES ME VIRUS KO PARTS ME DIVIDE KAR KE USE KIYA JATA HAI AISE VECCINES KO SUB UNIT VECCINES KAHTE HAI ,
HEPETITES B,HVV KE ILAJ KE LIYE AISE HI VECCINE KA USE HOTA HAI.

NOTE: YE SAB JENERAL CATEGORY HAI VECCINES BANANE KE LIYE ISKE ALAVA KAI TARIKE HOTE HAI VECCINE BANANE KE

WHY PATANJALI VACCINE IS NOT APPROVED

Coronavirus Know Why The Ayush Ministry Ban On Patanjali Covid-19 ...
Image Source-Google/ Imageby-patrika
पतंजलि आयुर्वेद ने COVID-19 के लिए 'कोरोनिल' नामक एक आयुर्वेदिक उपचार किट को 'इलाज' के रूप में लॉन्च किया। भारतीय मीडिया आउटलेट ने कोरोनोवायरस उपचार में 'सफलता' के रूप में जिक्र करते हुए किट पर शो चलाया। राम किसान यादव, जिन्हें बाबा रामदेव, पतंजलि के चेहरे के रूप में जाना जाता है, ने कहा कि किट को "नैदानिक ​​रूप से नियंत्रित परीक्षण" का उपयोग करके विकसित किया गया था और दावा किया कि यह "COVID-19 के लिए 100% इलाज" था। इसके अलावा, रामदेव ने कहा कि उनके पास दवा बनाने और जारी करने के लिए सभी आवश्यक अनुमतियां हैं।

इसके बाद, आयुष मंत्रालय ने एक बयान जारी किया कि पतंजलि आयुर्वेद को दस्तावेजों की कमी (यानी प्रभावकारिता के प्रमाण) के कारण COVID -19 के इलाज के रूप में दवा का विज्ञापन नहीं करने के लिए कहा गया है। इंडिया टुडे के साथ एक साक्षात्कार में रामदेव ने दावा किया कि शाम तक, आयुष को अनुसंधान से संबंधित सभी दस्तावेज भेजे जाएंगे जो कोरोनिल किट के लिए प्रभावकारिता के प्रमाण के आधार के रूप में उपयोग किए गए हैं।

पतंजलि ने दस्तावेजों का एक सेट जारी किया जिसमें शामिल थे:

पहले से परिचालित नैदानिक ​​परीक्षण रजिस्ट्री दस्तावेज़ (CTRI), जिसे 20 मई, 2020 को पंजीकृत किया गया था।
आयुष औषधि नीति अनुभाग के लिए एक पत्र जो दवा की संरचना, नैदानिक ​​परीक्षण का विवरण और जहां यह आयोजित किया गया था।
दवा की संरचना के भीतर सूचीबद्ध शोध लेखों के दो लिंक।
और नैतिकता अनुमोदन समिति के पत्र, और स्वास्थ्य, परिवार कल्याण मंत्रालय के महानिदेशक, CCRAS और अतिरिक्त मुख्य सचिव को दो FYI पत्र।

इस प्रकार, CTRI के अलावा, केवल दो शोध लेखों को प्रभावकारिता के प्रमाण के रूप में सूचीबद्ध किया गया था कि दवा COVID-19 से 100% इलाज प्रदान करती है। इसके अलावा, उत्तराखंड में आयुर्वेद विभाग के लाइसेंस अधिकारी ने कहा है कि पतंजलि के आवेदन को प्रतिरक्षा बूस्टर के रूप में उपयोग करने के लिए अनुमोदित किया गया था न कि COVID-19 के लिए एक दवा के रूप में।

निष्कर्ष:

इसलिए, पतंजलि द्वारा दिए गए वैज्ञानिक प्रमाणों में से कोई भी यह नहीं बताता है कि कॉरनील निम्नलिखित आवश्यकता के लिए COVID-19 के लिए एक प्रभावी उपचार है:

प्रदान किए गए दस्तावेजों ने कोरोनिल किट में तीन दवाओं में से केवल एक के लिए शोध अध्ययन प्रकाशित किया है, और तीन-जड़ी बूटी कोरोनिल दवा के हर्बल मिश्रण (गिलोय) के केवल एक हिस्से के लिए एक गैर-सहकर्मी की समीक्षा की है।
सबूत-आधारित दवा के निर्माण या अनुमोदन के अनुसार, केवल दवा के एक हिस्से के लिए एक गैर-सहकर्मी समीक्षा अध्ययन को कोरोनिल टैबलेट के लिए प्रभावकारिता के प्रमाण के रूप में नहीं लिया जा सकता है।
Swasari Ras (DSR) के लिए पहला शोध अध्ययन चूहों पर अध्ययन है और मनुष्यों पर नहीं।
इसके अलावा, गिलोय के लिए दूसरा शोध अध्ययन एक कंप्यूटर सिमुलेशन है और किसी भी जीवित प्रजाति पर अध्ययन नहीं है।
प्रदान किया गया नैदानिक ​​परीक्षण रजिस्ट्री दस्तावेज (CTRI) केवल पंजीकरण का प्रमाण है और परीक्षण के भीतर पाए गए परिणामों का प्रमाण नहीं है।
इसके अलावा, कोई विषाक्तता या हर्बल बातचीत अध्ययन यह साबित करने के लिए आयोजित किया गया था कि दवा संयोजन COVID-19 रोगियों में सुरक्षित या प्रभावी था।
वास्तव में, यह दावा करते हुए कि ऐसी अनुपयोगी दवाएं COVID-19 रोगियों की 100% मात्रा को उपचार की गलत धारणा से ठीक कर देंगी और जहां आवश्यक हो, वहां भी सिद्ध उपचार प्राप्त करने के अवसर को समाप्त कर दें, भले ही वे हमेशा हर रोगी का इलाज न करें। प्राचीन आयुर्वेद की आड़ में झूठी दवा निर्माण की यह प्रथा वैश्विक संकट के समय लोगों के जीवन को खतरे में डालती है।


अध्ययन 1: बालकृष्ण, ए।, सोलेटी, एस। के। सिंह, एच।, तोमर, एम।, शर्मा, एन। और वार्ष्णेय, ए। (2020)। कैल्सियो-हर्बल सूत्रीकरण, दिव्या-स्वसारी-रस, पुरानी सूजन को कम करता है और प्रो-भड़काऊ साइटोकिन प्रतिक्रिया को संशोधित करके एलर्जी अस्थमा के माउस मॉडल में वायुमार्ग रीमॉडेलिंग को दबा देता है। बायोमेडिसिन और फार्माकोथेरेपी, 126, 110063।

इस अध्ययन ने एलर्जिक अस्थमा मॉडल में एक प्रयोगशाला में प्रेरित चूहों (मनुष्यों में नहीं) में स्वसरी रास या दिव्य स्वस्य रस (डीएसआर) के प्रभाव का मूल्यांकन किया। दवा डीएसआर को न तो कोरोनोवायरस के साथ भड़काऊ फेफड़े के ऊतकों पर परीक्षण किया गया है और न ही यह मनुष्यों पर परीक्षण किया गया था। एलर्जी अस्थमा, जिस पर इस अध्ययन के हिस्से के रूप में डीएसआर का परीक्षण किया गया था और उपन्यास कोरोनवायरस (सीओवीआईडी ​​-19) के कारण होने वाली बीमारी पूरी तरह से अलग बीमारियां हैं, और रोगों के तंत्र भी अलग हैं। इसके अलावा, चूंकि डीएसआर के परीक्षण गैर-मानव प्रजातियों में आयोजित किए जाते हैं, इसलिए COVID-19 के खिलाफ DSR की प्रभावकारिता का दावा करने के लिए अध्ययन को 100% प्रमाण के रूप में उपयोग नहीं किया जा सकता है।

दावा:

पतंजलि आयुर्वेद द्वारा कोरोनिल किट COVID-19 का 100% इलाज है और नैदानिक ​​परीक्षणों के साथ वैज्ञानिक रूप से परीक्षण किया गया है।




फैसले:

असत्य

तथ्यों की जांच:

कोरोनिल किट में तीन बोतलें होती हैं:

Swasari रास गोलियाँ या (DRS) - एक जड़ी बूटी मिश्रण गोली।
जड़ी बूटी मिश्रण दो भाग गिलोय, एक भाग अश्वगंधा और एक भाग तुलसी है।
अनु तोला (नाक के तेल की बूंदें)।

INDIAN VECCINES

Covaxin, bharat biotech, covid, coronavirus, vaccine, drugs, medicine, pharma
 


Image Source-Google/ Imageby-BUSINESS STANDARD

INDIA ME ISS SAMAY JIS VECCINE SABSE JYADA YAKEEN KIYA JA RAHA HAI US VECCINE KA NAAM HAI CO-VECCINES.

CO-VECCINE BANAI JA RAHI HAI BHARAT BIOTECH COMPANY KE DWARA JO KI HYDRABADA ME BASED HAI, INHE
AREADY APPROVEL MIL CHIUKA HAI J KI YE APNE JUMAN TRIAL SURU KAR SAKTE HAI .

Fase 1 & fase 2  KI TESTING START HO CHUKI HAI 1000 HUMAN BEINGS PAR ISKA TRIAL KIYA JAYEGA.
BUT YE KAHNA KI YE 15TH AUGUST 2020 TAK READY HO JAYEGI SAHI NHI HAI.

KYOKI BAHOOT SE DESHO ME FASE 1 OR FASE 2 KA TRIAL SUCCESSFUL HONE KE BAAD BHI FASE 3 KE TRIAL SE JUJH RAHE HAI .
AGAR INDIA ME FASE 3 KA TRIAL NHI BHI HOTA HAI TO FASE 1 OR FASE2 KE TRIAL HONE ME LAGBHAG ONE MONTHS SE JYADA SAMAY LAG JAYEGA .

ICMR (INDIAN COUNCIL OF MEDICAL RESEARCH) KE ACCORDING INDIAN VECCINE KO FIRST PRIORITY DIYA GYA HAI AUR KAHA JA RAHA HAIK K 15TH AUGUST 2020 KO FIRST INDIAN VECCINE LAUNCH HO JAYEGI.

IN TATHYO KO JANNE KE BAAD , SAWAL UTHTA HAI KI KAHI GOVT. COMPANY OR MEDICAL SCIENTIEST PAR KOI TO NHI DAAL RHI KI YE JALDI SE APNE
CLINICAL TRIAL KO FAST FORWORD KAR DE TAKI GOVT.15TH AUGUST 2020 KO FIRST INDIAN COVID-19 VECCINE LAUNCH KAR SAKE .

ISS TARAH KI MARKETING STRATEGY GOVT. BAHOOT PAHLE SE HI KARTI AA RAHI HAI PAR ISS TIME GOVT. KO ISASE HATKAR SCIENCE KO JYADA PRIORITY DENI CHAHIYE.
AISE VECCINE KO LAUNCH KARNE SE KYA FAYDA JISKA SAHI SE PARIKSHAN HI NHI KIYA GYA HO .
AISI VECCINE KO USE KARNE KE BAAD KAHI ISKA KOI SIDE EFFECT HO GAYA TO KON JIMMEDAR HOGA.

SO WE ARE REQUESTED TO GOVT . VECCINES KO BANANE ME SUFFICIENT TIME TATHA SABHI CLINICAL TRIAL KO PURA HONE DIYA JAYE .





THANK YOU….








                                                                     

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